भारत भूकंप प्रवण देशों में से एक है, जहाँ समय-समय पर छोटे-बड़े झटके महसूस किए जाते हैं। ऐसे में भवनों को सुरक्षित बनाने और लोगों की जान बचाने के लिए भूकंप प्रतिरोधी निर्माण (Earthquake Resistant Construction) बेहद जरूरी है।
जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित हुआ भूकंप प्रतिरोधी निर्माण पर प्रशिक्षण
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन संस्थान, भोपाल, गृह विभाग म.प्र. शासन और जिला प्रशासन जबलपुर के तत्वाधान में जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण 20 से 22 अगस्त 2025 तक चला और इसमें इंजीनियर्स, कॉन्ट्रैक्टर्स और जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थी शामिल हुए। तीन दिनों तक चले इस प्रशिक्षण का आयोजन महाविद्यालय के सभाकक्ष में हुआ।
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- 1 आयोजन स्थल जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज का सभाकक्ष
- 2 तिथि 20 से 22 अगस्त 2025
- 3 मुख्य आयोजक आपदा प्रबंधन संस्थान, भोपाल एवं जिला प्रशासन
- 4 प्रतिभागी इंजीनियर्स, कॉन्ट्रैक्टर्स और कॉलेज विद्यार्थी
- 5 प्रमुख अतिथि डॉ. राजीव चांडक, डॉ. रोहिणी सिंह, डॉ. अंकुर विश्वकर्मा
- 6 सहयोगी श्री अभिषेक मिश्रा एवं तुषार गोलाईत
- 7 उद्देश्य भूकंप प्रतिरोधी निर्माण की जानकारी व प्रशिक्षण देना
वक्ताओं के अनुभव
कार्यक्रम का शुभारंभ और समापन जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजीव चांडक के उद्बोधन से हुआ। डॉ. रोहिणी सिंह, डॉ. अंकुर विश्वकर्मा और प्रो. संदीप कुमार साहू ने भूकंप से जुड़ी अपनी जानकारियाँ और अनुभव साझा किए। आपदा प्रबंधन संस्थान, भोपाल से आए श्री अभिषेक मिश्रा और तुषार गोलाईत ने तकनीकी पक्षों पर प्रतिभागियों को विस्तार से बताया।
भूकंप प्रतिरोधी निर्माण क्या है?
भूकंप प्रतिरोधी निर्माण (Earthquake Resistant Construction) वह तकनीक है जिसमें भवनों को इस तरह डिज़ाइन किया जाता है कि वे भूकंप के झटकों को सहन कर सकें और आसानी से ढहें नहीं। इसका उद्देश्य है –
- लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना
- संपत्ति का नुकसान कम करना
- और इमारतों को लंबे समय तक टिकाऊ बनाना
भूकंप प्रतिरोधी निर्माण की प्रमुख तकनीकें
- 1. मजबूत नींव (Strong Foundation) – मिट्टी और जमीन की जाँच कर सही जगह पर नींव डालना।
- 2. शियर वॉल्स (Shear Walls) – भवन को क्षैतिज बलों से बचाने के लिए।
- 3. बेस आइसोलेशन (Base Isolation) – नींव और इमारत को अलग करके झटकों का असर कम करना।
- 4. भूकंपीय डैम्पर्स (Seismic Dampers) – झटकों को अवशोषित करने वाली तकनीक।
- 5. लचीली सामग्री (Ductile Materials) – ऐसी सामग्री जो ऊर्जा सोख सके और आसानी से टूटे नहीं।
- 6. रेट्रोफिटिंग (Retrofitting) – पुराने भवनों को भी सुरक्षित बनाने की प्रक्रिया।
क्यों जरूरी है भूकंप प्रतिरोधी निर्माण?
- भारत का बड़ा हिस्सा भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में आता है।
- हर साल भूकंप से जान-माल का नुकसान होता है।
- सुरक्षित निर्माण से न केवल लोगों की जान बचाई जा सकती है बल्कि आर्थिक नुकसान भी कम किया जा सकता है।
जापान से सीख
जापान जैसे देश में, जहाँ बार-बार भूकंप आते हैं, भवनों को सुरक्षित बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल होता है। जैसे – बेस आइसोलेशन, डैम्पर्स और मजबूत कोड्स का पालन। भारत में भी ऐसी तकनीकों को अपनाकर हम अपने शहरों को अधिक सुरक्षित बना सकते हैं।
FAQs
Q1: क्या कोई इमारत पूरी तरह भूकंपरोधी हो सकती है?
उत्तर: नहीं, लेकिन सही तकनीक और निर्माण सामग्री से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
Q2: क्या पुराने भवनों को भूकंप प्रतिरोधी बनाया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, रेट्रोफिटिंग तकनीक से पुराने भवनों को सुरक्षित किया जा सकता है।
Q3: भारत में किन क्षेत्रों में भूकंप प्रतिरोधी निर्माण ज्यादा जरूरी है?
उत्तर: खासकर उत्तर भारत, पूर्वोत्तर और हिमालयी क्षेत्र जहाँ भूकंप का खतरा अधिक है।
Conclusion
जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित यह तीन दिवसीय प्रशिक्षण इंजीनियर्स, कॉन्ट्रैक्टर्स और विद्यार्थियों के लिए बेहद उपयोगी रहा। इससे प्रतिभागियों ने सीखा कि भूकंप प्रतिरोधी निर्माण कैसे किया जाता है और किन तकनीकों को अपनाकर भवनों को सुरक्षित बनाया जा सकता है। जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से जुड़ी और खबरों के लिए हमें फॉलो करें।